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अभी तो छोटी मछलियां फंसी है मगरमच्छों को भी पकड़ा जाए

 *आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


 शहडोल  lआज पुलिस प्रशासन की सफलता का चारों तरफ डंका बज रहा है जिसे देखो वही तारीफ करते नहीं थक रहा । पुलिस ने वाकई में मानवता को शर्मसार कर देने वाले जिन लोगों को बेनकाब किया है, उन्हें सभी हिकारत की नजर से देख रहे  है ।रेमदेसीविर की कालाबाजारी सीधा मौत की सौदागिरी करना है । ऐसे गंदे लोगों के खिलाफ शासन ने कड़े से कड़ा कानून बनाया है पुलिस ने भी मानवीय पक्ष को सामने रखकर कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ रासुका के अंतर्गत मामला दर्ज कर लोगों की भावनाओं और अपेक्षाओं का सम्मान किया है ।

  जन चर्चा है कि बिन बादल बरसात नहीं होती मौत के यह सौदागर जब शहडोल जैसी छोटी जगह में पनपने लगे तो निश्चित है इनका कोई *आका* होगा । जो अभी साफ साफ बच गया । लोग चाहते हैं कि यह तो छोटी मछलियां हैं शासन का शिकंजा उन मगरमच्छों की गर्दन तक जाना चाहिए जो सीधे-सीधे यमराज के रिश्तेदार हैं और पर्दे के पीछे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं ।

चंद पैसों के लिए अपने जमीर को बेचना सबसे गंदा काम है लोग कोरोना से तो डरते ही है उनका डर अब इस तरह भी बढ़ गया कि जहां वे जिंदगी की पनाह मांगने जा रहे हैं वहीं कहीं सफेद कपड़ों में काले मन के राक्षस न छुपे हो ऐसे पवित्र स्थानों पर जहां लोग आशा अपेक्षाओं और उम्मीदों के साथ पहुंचते हैं उनकी पवित्रता कायम रखनी चाहिए।

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