*आवारा कलम से
दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
शहडोल l मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान बहुत अच्छे हैं और बहुत सच्चे हैं ।
अच्छे इसलिए हैं कि इनके पास में गर्भस्थ शिशु से लेकर व्यक्ति के अंतिम संस्कार तक की योजनाएं हैं ।
आजादी के बाद पहली बार ऐसा कोई मुख्यमंत्री आया है, जिसने बहनों की पूरी समस्याओं का हरण कर लिया । भांजे भांजियों की समस्याओं का हरण कर लिया और जहां तक बहनोइयों की बात है उनके लिए भी बहुत कुछ मुख्यमंत्री के पास है । जैसे-- 1 किलो चावल फ्री, गैस कनेक्शन फ्री, आवास व्यवस्था नि:शुल्क, शौचालय निशुल्क मजदूरी में वृद्धि, वृद्धावस्था पेंशन आदि दर्जनभर योजनाओं से उन्हें नवाजा है ।
और
सच्चे तो हैं ही झूठ कभी बोलते नहीं । अभी-अभी मुख्यमंत्री जी शहडोल से रीवा होकर भोपाल पहुंचे और तत्काल पत्रकारों की पीड़ा को समझते हुए वहां उन्होंने घोषणा कर दी कि अधिमान्य और गैर अधिमान्य पत्रकारों कैमरामैन, संवाददाताओं और इस काम से जुड़े सभी पत्रकार साथियों के लिए कोविड-19 महामारी का नि:शुल्क इलाज उपलब्ध होगा और यदि कोई पत्रकार इस बीमारी से कॉल कवलित हो जाता है तो उसके परिवार जनों को पांच लाख रूपये की राहत राशि शासन द्वारा दी जाएगी । मध्य प्रदेश के सभी पत्रकार और पत्रकार संगठन हर्षित हुए सभी ने मुख्यमंत्री जी का आभार प्रदर्शन किया सच में ऐसा होना चाहिए ।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अगर मजबूत होगा तो लोकतंत्र भी मजबूत होगा । इस घोषणा पर मेरा मन शंका व्यक्त करता है कि मुख्यमंत्री जी आप के रहते तो कोई डर नहीं है लेकिन आप के बाद जो भी इस चेयर पर बैठेगा क्या वह भी आपकी तरह इतना ही संवेदनशील होगा ?वह भी ऐसी राहत देगा ? मैं जहां तक समझता हूं आपकी तरह वह इतना संवेदनशील नहीं होगा । जहां तक नि:शुल्क इलाज की बात है वह स्पष्ट नहीं है कि निशुल्क इलाज खैराती अस्पतालों में मिलेगा या निजी अस्पताल भी पत्रकारों को निशुल्क इलाज देंगे,, यह थोड़ा स्पष्ट हो जाता तो पत्रकारों के भ्रम की स्थिति दूर हो जाती, क्योंकि निजी अस्पताल वाले इस कोविड-19 के संकट को गोल्डन टाइम मानकर चल रहे हैं और दोनों हाथ से स्वयं की सेवा में लगे हैं ऐसी आपाधापी में वह पत्रकारों को कैसे नि:शुल्क इलाज देंगे ? जबकि मेडिकल क्लेम वाले और बीमा धारी चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं ।
खैर! आप स्पष्ट कर देंगे तो यह भ्रम हट जाएगा । दूसरा जो मरने के बाद ₹5 लाख रूपये पत्रकार के परिवार जनों को मिलेगा उसके संबंध में यह बात स्पष्ट नहीं थी कि परिवार के लोगों को कौन से जरूरी दस्तावेज कहां देने पड़ेंगे कि उनके खाते में पांच लाख का चेक आ जाएगा ? अगर पत्रकार साथी के मरने के बाद परिवार जनों से नियुक्ति पत्र मांगा गया तो यह भागीरथ की तरह गंगा लाने से कम प्रयास न होगा
वह नियुक्ति पत्र और वेतन का निर्धारण अगर हो ना होता तो यह पत्रकार साथी अभी अधिमान्य हो जाते ।
वह अधिमान्य इसलिए नहीं हो पा रहे कि उनके पास में कोई दस्तावेज नहीं है ।
मुख्यमंत्री जी खुश होना एक अलग बात है और खुशियां बांटना अलग बात है ।
आप स्पष्ट कर दें नियमों को कुछ शिथिल कर दें ताकि पत्रकारों की आत्माएं बाद में भी ना भटके । वैसे क्राइटेरिया निर्धारित होना बहुत जरूरी है और इस घोषणा को अगर अध्यादेश में तब्दील कर सकें तो लोकतंत्र के चौथे खंभे के साथ ऐतिहासिक न्याय पूर्ण कदम होगा । शिक्षित वर्ग के अनेक योग्य होनहार और काबिल साथी भी पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं जिन्होंने मिशन समझ कर समाज सेवा के लिए इस क्षेत्र को चुना था और अच्छी खासी सरकारी नौकरियों को छोड़ा था आने के बाद सभी को महसूस हुआ के जुनून से जीवकोपार्जन नहीं चलता । इसके साथ जेब भी भारी होना चाहिए । आप पत्रकारों के प्रति अत्यधिक नरम रवैया रखते हैं, उन्हें अपना मित्र समझते हैं तो मुख्यमंत्री जी मित्रों के लिए कुछ ठोस कदम करके जाइए ताकि आपके मित्र हाथ में घोषणा का झुनझुना भर ना लिए रहे हैं बल्कि अन्य प्रदेशों के लिए भी नजीर बन सकें।




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