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ऑनलाइन कवि गोष्ठी ने समा बांधा

शहडोल  l#सोपान साहित्यिक संस्था छत्तीसगढ़ इकाई के द्वारा दिनाँक 23 मई 2021 दिन रविवार को शाम 4:00 बजे से आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ ...



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गूगल मैप पर हुए इस ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री #शशि_मोहन_सिंह जी (I.P.S.) वरिष्ठ कवि दंतेवाड़ा (छ.ग.) रहे ।


कार्यक्रम की आयोजक एवं अध्यक्ष #डॉ_प्रियंका_त्रिपाठी लेखिका, संपादक एवं अर्णव प्रकाशन की संस्थापक

छत्तीसगढ़ इकाई "प्रभारी" सोपान साहित्यिक संस्था रहीं ।


कार्यक्रम का संचालन बिलासपुर की कवयित्री श्रीमती #वर्षा अवस्थी ने किया साथ ही सरस्वती वंदना का गायन भी उन्हीं के द्वारा किया गया ।


आमंत्रित कवि एवं कवयित्रियों के द्वारा बहुत ही सुंदर और रोचक काव्य पाठ किया गया ।


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सीतापुर की कवयित्री एवं ग़ज़ल कारा श्रीमती #स्नेहलता वर्मा के द्वारा मुक्तक एवं ग़ज़ल का पाठ किया गया-


है तीरगी जहाँ वहाँ दीपक जला रे पल ।

बर्फीली आंधियाँ चली दे दे सहारे पल ।।


ताज़ा तरीन आज भी पल-पल गुज़ारे पल

रह रह के याद आ रहे मीठे वो प्यारे पल


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बिलासपुर की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती #रश्मिलता मिश्रा जी के द्वारा गीत एवं ग़ज़ल का प्रस्तुतीकरण किया गया- 


किसी अजीज का लेकर पयाम आया है।

हुजूर आपके दर पे गुलाम आया है।


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रायपुर के कवि एवं ग़ज़लकार श्री #जितेंद्र जीत जी के द्वारा बहुत ही सुंदर गजल कही गई-


ऊँची उठती हुई लहरों का उतरना तय है,

देख बिगड़ी हुई हालत का सुधरना तय है .

रात कट जाएगी कल फिर से सवेरा होगा,

आज के डूबते सूरज का उभरना तय है ।


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शहडोल जिले के सुप्रसिद्ध बघेली कवि और ग़ज़लकार श्री #शिवपाल तिवारी जी ने अपनी बघेली ग़ज़ल से एक अलग ही शमाँ बांध दिया- 


देउता हमय रिसान, बताबा कसके मानंय।

बोलंय आन मतान, बताबा  कसके मानंय ॥

होम गरास बहुत दीन्हेन पय सेंत मेंत का।

पंडा ना अभुआन, बताबा  कसके मानंय ॥


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रायपुर की कवयित्री एवं ग़ज़लकारा श्रीमती #सोनल ओम आर्या ने भी बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल का पाठ किया- 


चिरागों से फ़ना जब तीरगी ए शब नहीं होती।

 वहाँ पे राय जुगनू की भी बेमतलब नहीं होती।

ज़रा सी रोशनी मैंने दुआ में रब से मांँगी थी,

खिली तब सुब्ह जो अब रात में गायब नहीं होती।।


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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतिथि दंतेवाड़ा के वरिष्ठ कवि एवं आईपीएस अधिकारी श्री #शशि_मोहन जी ने बहुत ही सुंदर भाव विभोर कर देने वाली छंद मुक्त रचनाओं का पाठ किया-


मस्त घटा, बादल और बरखा 

रिमझिम की फुहार भी तुम हो 

लहर-लहर लहरों की मस्ती 

लहरों के उस पार भी तुम हो ।


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कार्यक्रम की आयोजक डॉ.#प्रियंका त्रिपाठी के द्वारा मुक्तक, गीत एवं ग़ज़ल का पाठ किया गया- 


न समझे प्यार जब कोई तो जतलाना ही पड़ता है ।

तेरी ख़ातिर ही दिल धड़के ये बतलाना ही पड़ता है ।।

तेरी नज़रों में पहले सी मुहब्बत अब नहीं बाक़ी, 

मुहब्बत को भँवर में देख घबराना ही पड़ता है ।।


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कार्यक्रम की संचालिका बिलासपुर की कवयित्री श्रीमती #वर्षा अवस्थी जी के द्वारा छंद मुक्त रचनाओं का बहुत सुंदर वाचन किया गया-


आज सही मायने में जरुरत है सामजिक उत्थान की। 

आज सच में जरुरत है इंसान को इंसान की।। 

आज देश फंसा है कोरोना के अजीब जाल में। 

आज ना रहना चाहिए कोई पेट भूखा, 

प्रण लें सामजिक उत्थान में।।


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कार्यक्रम में सोपान साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री #राजीव_नसीब जी एवं राष्ट्रीय सचिव आदरणीय श्री #कुमार_ठाकुर जी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भव्य बना दिया।


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अंत में आभार प्रदर्शन डॉ. प्रियंका त्रिपाठी के द्वारा किया गया ।

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