*आवारा कलम से*
दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
अजय जयसवाल शहडोल l पंचतंत्र की कहानियों में काफी दिलचस्प घटनाएं ज्ञान चक्षु खोलने के लिए काफी है, जो लोग पंचतंत्र के पाठक है उन्हें पता है कि सारा साहित्य जंगलों पर लिखा गया है। इसी साहित्य के सागर की एक आधुनिक कहानी है कि जंगल का राजा शेर सबसे शक्तिशाली हुआ करता है क्योंकि उसके शिकार की रणनीति बहुत फुर्तीली और ताकतवर होती है। शेर की दहाड़ से गर्भस्थ जानवरों की भय के कारण डिलीवरी हो जाती और पक्षी कांपते हुये नीचे गिरने लगते है ।
एक दिन बंदर ने बगावत कर दी । सारे जानवरों को इकट्ठा किया और समझाया तुम लोग जिसे राजा मानते हो उसके बारे में कुछ जानते हो वह रोज एक जानवर का शिकार करता और अपना पेट भरता है ।
मेरी प्यारे जंगल के जानवरों, इस तरह से रोज हमारे बीच से एक साथी शेर का शिकार बनता रहा तो एक दिन सारा जंगल जानवर विहीन हो जाएगा।
बंदर की बात सुनकर सारे जानवर सिहर उठे और घबरा कर बोले तो तुम्ही बताओ हम सब क्या करें ?
बड़े दार्शनिक की तरह बंदर ने चिंता पूर्ण मुद्रा में कहा कि आप लोग राजा बदलो मुझे राजा बना दो मैं तो धरती पर नहीं चलता डाली डाली कूंद--फांद करता हूं।शाकाहारी हूं ।
प्रयोग धर्मी जानवरों ने कहा ठीक है ! तुम बन जाओ राजा ,
अंधे को क्या चाहिए दो आंखें । जानवरों का भारी समर्थन पाकर बंदर पेड़ के ऊपर चढ़कर और खी खी खी करके डाल को हिला कर अपनी खुशियां जाहिर करने लगा।
दिन बीतने लगे शेर के पास खबर पहुंची शेर मुस्कुराया और शांत हो गया सुबह दूसरे दिन वह अपनी दिनचर्या के मुताबिक शिकार पर निकला ।
एक हिरणी पेड़ के नीचे बंदर को गुहार लगाने लगी नए महाराज जागो पेड़ के ऊपर से ही बंदर खिसिया कर बोला हमारी नींद में खलल डालने वाला कौन प्राणी है ? हाथ जोड़कर हिरनी बोली हुजूर ! मेरे बच्चे के पीछे शेर लगा है , उसकी जान बचाईये । बंदर ने हुंकार भरी
रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई । शेर की यह मजाल मेरी सत्ता ग्रहण के बाद उसने शिकार की हिम्मत कैसे की ? हाथ जोड़कर हिरनी बोली महाराज मुझे यह तो नहीं मालूम लेकिन मेरे बच्चे की जान बचा लीजिए ।बंदर बड़े गर्व से हुंकारा और बोला कि तुम पैदल चलो मैं डाल डाल आता हूं । हिरनी जल्दी-जल्दी पैदल चलने लगी बंदर डाल-डाल कूंद कर आगे बढ़ने लगा । एक मैदान में हिरनी ने इशारा किया महाराज वह देखिए कैसे दौड़ा रहा है मेरे छोटे से बच्चे को
बंदर ने बड़ी बड़ी आंखें निकाल कर हिरनी की तरफ देखा-- देख रहे हैं हम भी देख रहे हैं । तुम चुप रहो ।
थोड़ी देर बाद बंदर ने अपना खींखियाना शुरू किया और जोर-जोर से डाल हिलाता रहा--शेर
दौडता रहा । बन्दर डाल हिलाता रहा । शेर ने शिकार को दबोच लिया,
बन्दर जोर-जोर से खिखियाने लगा ।
हिरणी रोने लगी,
महाराज मेरे बच्चे को बचा लो वो देखिये महाराज उसने मार डाला और खाने लगा ।
गुस्से और थकान से भरा बन्दर जोर से बोला हमें उसकी हरकतें देखने का आदेश देने वाली फरियादी , तुझे यह नही दिखा कि मैने कितनी मेहनत की । एक-एक डाल हिला दी, पूरा जंगल मेरी खिसियाहट से कांप गया और तुम वो टुच्चा सा खेल दिखा रही हो ?
विधि का विधान समझकर अपने कर्मों को कोसती हुई हिरनी वापस जंगल में खो गई और जानवरों ने शोक सभा कर बंदर को उसके पद से अपदस्थ कर दिया । फिर क्या था
जंगल में सब कुछ सामान्य चल रहा था कि अचानक हवाएं जहरीली हो गई और पानी भी विषैला हो गया । राजा ने कहा सभी जानवर अपना मुंह बंद कर ले हाथ से अपने मुंह को बंद नहीं कर पाते तो मुंह पर पत्ते बांधलें, और दिन में अनेकों बार हाथ धोते रहें ।
राजा ने सावधान किया कि सभी जानवर आपस में दूरी बना लें । सामाजिक रस्मों रिवाजों को भुला दें । उत्सव और त्योहारों को तिलांजलि दे दे और अपने- अपने शिकार करने की आदत को छोड़ दें ।जानवरों को सबसे ज्यादा खराब लगा सामाजिक दूरी बनाना, एक दूसरे से मिल नहीं पाएंगे तो जिंदा क्यों हैं ? हम सभी सामाजिक जानवर हैं और यदि शोक नहीं मनाएंगे, उत्सव नहीं मनाएंगे मिलेंगे जुलेंगे नही, एक दूसरे का स्पर्श नहीं करेंगे तो--- करेंगे क्या ? सिर्फ हाथ धोएंगे !
राजा ने कुछ होशियारों से कह दिया कि जानवरों की मौत को अदृश्य बीमारी के खाते में डाल देना ।
सेनापति के समझाने पर राजा ने दहाड़ लगाना छोड़ दिया और शिकार करना भी छोड़ दिया यहां तक कि राजा ने अपना हुलिया ही बदल दिया ।
अब वह दार्शनिक बन गया । इसका यह मतलब नहीं कि राजा भूखा रहने लगा बल्कि राग दरबारी लोग राजा के लिए शिकार की खरीद-फरोख्त करने लगे और उसे राजा तक पहुंचाने लगे। पूरे जंगल का माहौल बदल गया कुछ तोते इधर से उधर खबरों को पहुंचाने । जानवरों के शव बहने लगे नदियों में,बतलाने लगे,हवा में जहर शामिल हैं , कहने लगे ।कहीं-कहीं जंगलों में भी शव जलाये जा रहे हैं । जहां देखो वहां मौत मंडरा रही है । राजा ने कहा सब ठीक हो जाएगा । हमें इसी से लड़ना डरना नहीं भागना नहीं है और अपनी-अपनी अपनी गुफाओं से बिलों से, मांदों से, बाहर नहीं निकलना ।
जंगल का यह कानून जंगली जानवरों की समझ में नहीं आया ।गुफा के बाहर नहीं आएंगे , शिकार नहीं करेंगे ,बाहर घूमने नहीं जाएंगे ,खुलकर सांस नहीं लेंगे, तो--- मरेंगे नहीं तो क्या करेंगे ?
जो भी जानवर इन सवालों का पता करने बाहर निकलता, उसे राजा के सिपाही पीछे से डंडे मार मारकर इस हालत में कर देते कि वह बैठने लायक नहीं
रहता । जंगल के हालात बिगड़ने लगे सभी को अपनी आंखों के सामने मौत दिखने लगी ,तभी आशा की एक किरण सामने आई राजा ने कहा हमने एक दवा बनाई जिसको सूंघने से बीमारी नहीं भागेगी बल्कि तुम्हारी बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ जाएगी सारे जानवर हफ्तों से लाइन में बैठे हैं लेकिन दवाई का पता नहीं मुंह बंद होने से वे शोर भी नहीं कर पा रहे और जीने की लालसा में लाइन से उठकर भाग भी नहीं पा रहे थे कितने में कौवा ने कांव-कांव की आवाज की और बताया कि आसपास के जंगलों से राजा ने दवा मंगा ली है दवा तुम सभी के पास पहुंच जाएगी तब तक आप सिर्फ इंतजार करें घबराए नहीं जिंदगी से प्यार करें कुछ जानवरों को दवा सूंघने के लिए मिली वह गर्व से इधर उधर इधर आ कर चलने लगे तब उन्हें बताया गया कि यह दवा लग जाने के बाद भी अदृश्य बीमारी तुम्हें फिर से बीमार कर सकती है इतना सुनकर इतराने वाले जानवर भी दुम दबा कर बैठ गए।
अब जो भी करना है राजा करेगा बाकी सभी की बुद्धि पर लकवा मार गया ।
कोयल ने कहा--
टूटता हृदय का धैर्य यहां
तुम कहां करूणावतार
इस पुण्यभूमि में कैसी
यह चली भीषण मार
हे नटनागर इस धरा पर
तुम आओ फिर इक बार
लौटे खुशियां गूंजे
हर-हर बम के स्वरोच्चार




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