*आवारा कलम से*
हम अपने मन को समझाने की कोशिश करते हैं कि जब मुख्यमंत्री जी ने कह ही दिया है कि प्रदेश की सड़कें अमेरिका से अच्छी हैं तो यह समझ लेना चाहिए कि कोई मुख्यमंत्री कम से कम विदेश में तो जाकर झूठ नहीं बोलेगा। रही बात तीन बसों के पलट जाने की, अगर सड़कें अच्छी ना होती तो यह बसें दौड़ दौड़ कर क्यों पलटती ? मन को समझाना ही होगा कि मुख्यमंत्री जी सच बोलते हैं ।
उन्होंने अगर कहा कि यात्री बसों में क्षमता से आधे यात्री ही बैठेंगे तो हमें समझना होगा कि यात्री बस में अब क्षमता से आधे यात्री ही बैठते होंगे।
मुख्यमंत्री जी सारे निर्णय जनहित में ही लेते हैं ।
इसी श्रंखला का एक और निर्णय है कि बसों में बैठने वाले यात्री मास्क लगाएंगे- डिस्टेंस रखेंगे और संबंधित अधिकारी बसों की फिटनेस देंगे ।
अब इन बिंदुओं पर जो लोग संदेह कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि बाणसागर नहर में गिरने वाली बस ठीक थी तो गिरी क्यों? और उसमें 60 यात्री कैसे बैठे ? बस का फिटनेस सर्टिफिकेट और लाइसेंस रद्द कर दिया गया है अब इतना बड़ा कदम उठाने के बाद सरकार से यह पूछना कि संबंधित दोषी अधिकारी के प्रति क्या कार्यवाही की गई तो यह तो अति मानी जाएगी और यह सारे संदेह बे- सिर पैर के हैं । सरकार के खिलाफ एक बड़ी साजिश है । कांग्रेस को इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए ।हां! यह अलग बात है कि कांग्रेस को कोई भी यह नहीं बतलाता कि उसे किस विषय पर राजनीति करनी चाहिए । उसका रजिस्ट्रेशन भले ही राजनीतिक पार्टी के रूप में हुआ हो लेकिन दूसरे दल हमेशा उसे सीख देते हैं कि किसानों पर राजनीति मत करो, सेना पर राजनीति मत करो, महंगाई पर राजनीति मत करो, शिक्षा पर राजनीति मत करो, वित्तीय मामलों पर और खासकर बजट पर राजनीति मत करो, पेट्रोल डीजल के दामों पर राजनीति मत करो खैर! यह कांग्रेस का विषय है । वह बैठ कर पूछ ले सलाह मशविरा कर ले कि आप किन विषयों पर राजनीति करेंगे और हमारे लिए कौन से विषय छोड़ रहे हैं ।
लोकतंत्र में सरकारों की ज़िद अब सामने आने लगी है। केंद्र सरकार कहती है हम किसानों के हित में नए कृषि कानून वापस नहीं लेंगे और प्रदेश सरकार कहती है कि हम जनहित के लिए उठाए गए कदमों के कारण पेट्रोल-डीजल से वेट कर कम नहीं करेंगे । अब वह किसानों का हित कर रहे हैं और यह जनता का हित कर रहे हैं , उधर किसान कह रहे हैं कि भैया इससे हमारा हित नहीं होगा । इधर जनता कह रही है कि वेट कर हटा लो इससे हमारा हित नहीं होगा लेकिन सरकारें हैं कि मानती नहीं । आम आदमी के भोजन की थाली जिसे बजा बजाकर लोग सत्ता में आए अब वही लोग कांग्रेस से कहते हैं कि इस पर राजनीति मत करो और ऐसा कांग्रेस मान भी जाती है ।एक दो जगह 10--20 लोगों का धरना प्रदर्शन कर उसकी समझ में आ जाता है कि जब सरकार कह रही है तो मानो ।
घटनाएं घटती रहें इनसे पता चलता है कि हम आगे बढ़ रहे जैसे जहरीली शराब पीने से लोग मरे तो पूरे प्रदेश में अभियान छेड़ा गया की जहरीली शराब को नष्ट किया जाए और प्रशासन धुआंधार अभियान चलाने लगा अब आप मन को समझाते रहो कि जहरीली शराब कौन है और अमृतमयी शराब कौन हैं ?
*सत्ताधारी जनहितकारी सत्ता के ज्यादा करीब होते हैं बजाए जनता के,*
यही नजारा है इसे ही समझना होगा। *रूपक*
0 Comments